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Wednesday 27 January 2016

शहीद की चिट्ठी

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रकाशित मेरी रचना "शहीद की चिट्ठी" उन सभी परिवारों को मेरा नमन है जिन्होंने अपने बेटों को देश की खातिर खो दिया । उन सबको दिल से सलाम ।
जय हिन्द

~~~पारुल'पंखुरी'




















शहीद की चिट्ठी
माँ,
कल छब्बीस जनवरी है ;मुझे गए हुए भी छब्बीस हफ्ते हो चुके हैं मगर तेरे आँसुओं की नदी अभी तक सूखी नहीं ये देख कर मै बेचैन हो जाता हूँ माँ |
   मुझे निवाला खिलाये बिना कभी खाना नहीं खाया तूने मालूम है अब वो निवाले कैसे काँटों से चुभते हैं तुझे और मौन होकर आंसुओं के साथ उन्हें भी निगल लेती है तू | सबसे छुपा सकती है तू मगर मुझसे नहीं ,रात को लेटे लेटे जिस आँचल से तू अपने आँसू पोंछती है उसी आँचल से मै अपना सर ढक लेता हूँ जो मुझे भीगा भीगा महसूस होता है, फिर मै तेरे चरणों में सिर झुकाता हूँ और तेरे सीने से लगकर लेट जाता हूँ मगर मै तेरे आँसू क्यूँ नहीं पोंछ पाता माँ  !
  सुबह जब अनजाने में तू मेरा नाम पुकारती है मै बहुत खुश हो जाता हूँ मगर तू मेरी कमीज को सीने से लगाये सुबक सुबक के रोने लगती है | धरती माँ का कर्ज चुकाते चुकाते तेरी ममता को तरसता छोड़ गया मै माँ मुझे माफ़ कर देना |
     तूने ही मुझे शिक्षा दी थी की “सबसे पहले धरती माँ उसके बाद तेरी माँ” | मै तो एक झटके में चला गया माँ मगर तू  हर दिन हर पल मेरी ममता में तड़फ रही है मर रही है  | तू जानती थी की तू मेरे बिना नहीं रह पाएगी फिर भी भारत माता के लिए मुझे कुर्बान कर दिया; माँ, तुझे प्रणाम है |
    जब तक तेरे जैसी माएं भारत की धरती पर हैं दुश्मन इसका बाल भी बांका नहीं कर सकता | कल मुझे जो सम्मान मिलने वाला है उसकी सच्ची हकदार तू है माँ इस देश की सच्ची सैनिक तेरे जैसी माएं हैं | उन सभी माँओं को सलाम |
                          जय हिन्द
                                 तेरा शहीद बेटा
(जो और सौ बार भारत माँ पर शहीद होने को तैयार है )



रचना-- पारुल'पंखुरी'
२५ जनवरी २०१६ 
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