प्रेम की कोई बात हो कह लो
चाँद से रोशनी उधार ले लो
फूलो से खुशबू तुम ले लो
टहनी की एक कलम बना लो
बस एक ख़त लिख दो
"क्या चाँद की चांदनी में
मै तुमको दिखाई देती हूँ ..
क्या पानी की कल कल में मै
तुमको सुनाई देती हूँ
क्या इन्द्रधनुष के रंगों में मै
झूमती नाचती लगती हूँ
क्या नीले ऊंचे आसमा में
उडती दिखाई देती हूँ ??
ये सारी बातें हमसे कह दो
कुछ अपने सपने तुम लिख दो
कुछ और नहीं कर सकते तो
कोरा सा एक कागज़ ले लो
लेकर अपने हाथो में, उसपे
प्यार भरा एक चुम्बन रख दो
देकर स्नेह स्पर्श ख़त को
अक्स अपना उसमे तुम भर दो
वो ख़त नहीं एक तोहफा होगा
अनमोल और अनोखा होग
देकर अपना वो स्नेह स्पर्श
मुझको थोडा और जिला दो
बस एक ख़त लिख दो
हाँ एक ख़त लिख दो
------------------------पारुल 'पंखुरी'