पंखुरी के ब्लॉग पे आपका स्वागत है..

जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Friday 28 June 2013

लव लैटर ...

मेरे प्यारे दोस्तों ...आज बहुत दिनों बाद आप सब से रूबरू होने का मौका मिला ...इतने सारे कमेंट्स  और notifications मिले ...पढ़ के मन प्रसन्न हो गया ...जिन्होंने मेरी अनुपस्थिति में मेरी रचनाओं को मान दिया उनका बहुत बहुत धन्यवाद ...और साथ ही माफ़ी मांगूंगी की मै समय पर उनके ब्लोग्स पर नहीं आ पाई ...

तो मेरे प्यारे दोस्तों मै हाजिर हूँ एक बार फिर आपके सामने एक नए प्रयोग के साथ .... कभी कभी कुछ बातें कविता से अलग होकर भी कविता ही लगती है ..इसी श्रृंखला में मैंने ये अनूठा प्रयोग करने की कोशिश की है ...इस उम्मीद के साथ की पसंद आने पर आप मेरा हौसला बढ़ाएंगे ..और जो कमी होगी वो भी मुझे बेहिचक बता देंगे ताकि मै और अच्छा लिखने को अग्रसर रहू ....





मेरे प्यारे दोस्तों ....
कभी कभी कुछ बातें भी इतनी खूबसूरत लगती की उनको सहेज कर रखने को जी चाहता है ....
इसी श्रृंखला में कुछ काल्पनिक  लिखा  तो सोचा की आप सबके साथ शेयर कर लूँ ..हो सकता है जैसे इसे पढ़ के मेरे दिल के तार झन झनाये वैसे ही आपके मन का भी कोई तार बजने लगे ये  बस खतो के माध्यम से कुछ बातें कही गयी हैं ... ख़त है प्रेमिका का अपने प्रेमी के नाम ....

फरवरी १८,,, १९९७

मेरी जिंदगी .....

तुम सोच रहे होंगे की ये इतनी पुरानी तारीख़ क्यों डाली है इस ख़त पर ...तो वो इसलिए क्यूकी मेरी जिंदगी आज भी उसी पल में रुकी हुई है ....जब तुम मेरे साथ थे ...आज इतने दिनों के बाद तुम्हारा फोन आया ..यकीन मानो जैसे मै किसी नदी में डूब रही थी और तुम्हारी आवाज ने तिनके का सहारा दे दिया ..और मुझे फिर से जिन्दा होने का एहसास दिया ....जिस पल तुम्हारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..मानो एक और जिंदगी उसी पल जी ली मैंने ..कब शबनमी कतरे आँखों की कोर छोड़ कर मेरे होठो को चूमने लगे कुछ पता नहीं चला ..सब कुछ उस एक पल में हो गया ....तुमसे बात होने के बाद अब क्या कहूँ मेरा क्या हाल है ...मेरे कमरे की वो दीवारें जो आजतक मुझे बदरंग लगती थी आज अचानक वो मुझे रंग-बिरंगी और खूबसूरत लग रही हैं .....मै बोल रही हूँ तो भी लग रहा है की गुनगुना रही हूँ ..खाने - पीने की चीजो का स्वाद बढ़ गया है ..और एकदम से मेरा कुछ मीठा खाने का मन हो आया है ... मेरी डायरी और कलम मुझे प्यारी निगाहों से घूर घूर के देख रही हैं ..की अब तक जो दर्द की स्याही उन पर उड़ेलती आई हूँ मै, शायद आज प्यारा सा कोई नगमा लिख दू उनपर तो उनको भी चैन आ जाये ..ऐसा ही लग रहा है उनके मुझे देखने से !!! ओह ! मेरी जिंदगी तुम नहीं जानते ..मेरी जिंदगी में तुम्हारे होने के क्या मायने हैं ....बस अब कहीं मत जाना ..और जाना तो मेरी जिंदगी लेकर जाना ......

जिंदगी की सारी खुशियाँ तुम्हारे नाम
सिर्फ तुम्हारी

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