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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Thursday 16 May 2013

कभी कभी....


कभी कभी तो बातें जैसे बिन मौसम की बरसात
और कभी कभी जैसे धुंआ सा हो जाती हैं
कभी कभी दिल कहता है वो हैं अपने
और बहती हवा कभी कुछ और ही कह जाती है
कभी कभी सूरज की गर्मी भी अच्छी लगती है
रिमझिम फुहारें भी कभी, जज्बात जगा नहीं पाती हैं
कभी कभी बिजली का कड़कना भी,
मन को डरा नहीं पाता है
और कभी चांदनी रात भी, मन मेरा सहमा जाती है
कभी कभी कण कण में ,मुझमें
बस तुम ही दिखाई देते हो
और कभी आँखें मूँद कर भी कोई अक्स नजर नहीं आता है
कभी कभी मन भरम से, डरता रहता है पल पल
और कभी प्यार बन के विश्वास रग रग में मेरी बहता है
तुम हो यहीं हो ....मन मेरा मुझसे कहता है
मन मेरा मुझसे कहता है
----------------------------पारुल'पंखुरी'
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