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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Wednesday 3 April 2013

प्रीत का रंग ...


कैसे आये मुझको ..
बिन प्रियतम के चैन
आस में उसकी रहते ..
हर पल मेरे नैन ..
धर बंसी अधरों पर अपने ...
आयेंगे मोरे अंगना ...
इसी घडी की बाट जोहते
मोरे दिन और रैन ...
न चहिये मुझे लाल, गुलाबी ...
पीला ,हरा या रंग नारंग ....
मोहे तो भाये बस कान्हा,
और उसका श्यामल रंग ...
ऐसा रंग चढ़ा सांवरिया ..
रंग सारे फिर लगे बदरंग ..

आ जाओ अब प्रियतम प्यारे ..
प्रीत के रंग से रंग दो,अंग- अंग ......

खेलूंगी होली मै तो बस ...
सांवरिया के संग ..
सांवरिया के संग ..
----------------------पारुल'पंखुरी'

7 comments:

  1. सुंदर रचना, पारुल -पर मेरी गुज़ारिश है की विषयांतर करना चाहिए. यह कान्हा-परिसर तुम्हारा होमपिच सा बन गया है.

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.

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  3. प्रीत के रंग ऐसे ही होते हैं .. सांवरियां के रंगों में जीवन होता है ...
    प्रेम का गहरा रंग लिए रचना ...

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  4. प्रेम का गहरा रंग लिए लाजबाब रचना,,,,बधाई पंखुरी जी,,,

    Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग

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  5. bahut khoobsoorat ahsaas se puriit, pritikar, kavita.

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